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zindgi
Saturday, 9 April 2011
जिंदगी............
जिंदगी कब तक तू यूँ ही हवा की तरह अपना रुख बदलती जायेगी,
कभी तो तू ठहर कर देख जीवन की इस अँधेरी शाम को,
आखिर कब तक तू यूँ ही इससे छुप कर अपने रस्ते को बदलती जायेगी,
जिन्दगी आखिर तू भी एक दिन पछताएगी
Saturday, 2 April 2011
जिंदगी.....
जिंदगी वह दरिया है जो पैदईस की झील से मौत के समुन्दर की तरफ बढता है......
तन्हा सफ़र....
तन्हा सफ़र....
तन्हा सफ़र.....
तन्हा सफ़र....
तनहाइयाँ
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zindgi
i am a simple person, believe in simple living & want to help others.
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